16 Face Natural Rudraksh, 4.83 Gram, 30.95 MM. Super Collector Size, Origine-Nepal
16 मुखी रुद्राक्ष को “जय रुद्राक्ष” के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान शिव के महा अवतार और भगवान राम से जुड़ा हुआ है। इसे पहनने से जीवन में विजयी होने का आशीर्वाद मिलता है। ज्योतिषीय और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, यह अत्यधिक प्रभावी माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार 16 मुखी रुद्राक्ष:
शास्त्रों में 16 मुखी रुद्राक्ष का उल्लेख विभिन्न रूपों में मिलता है। इसे पहनने वाले व्यक्ति को भय, रोग, दु:ख और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। इसका महत्व निम्नलिखित श्लोकों में बताया गया है:
श्लोक:
“सोलहवक्त्रम त्रैलोक्य वशीकृतिं ततः।
सर्वारिष्ट विनाशं च सर्वसिद्धि प्रदायकम्।।”
अर्थ:
यह रुद्राक्ष त्रैलोक्य (तीनों लोक) में वशीकरण की शक्ति देता है और सभी प्रकार की कठिनाइयों और दोषों का नाश करता है। इसे धारण करने से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है।
ज्योतिषीय लाभ (Astrological Benefits):
- शनि दोष: 16 मुखी रुद्राक्ष का धारण शनि के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैया से उत्पन्न कष्टों का निवारण करने में यह सहायक होता है।
- सभी ग्रहों का संतुलन: इसे धारण करने से सभी ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और ग्रहों का संतुलन सही होता है।
- कर्मों की बाधाओं का निवारण: यह रुद्राक्ष व्यक्ति के पूर्वजन्म के कर्मों से उत्पन्न बाधाओं को समाप्त करता है और जीवन में सफलता लाता है।
- भय से मुक्ति: यह मानसिक और शारीरिक भय से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
औषधीय लाभ (Medicinal Benefits):
- मानसिक शांति: 16 मुखी रुद्राक्ष मानसिक संतुलन को बनाये रखने में मदद करता है। इसे धारण करने से मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद कम होते हैं।
- ह्रदय रोग: यह ह्रदय के रोगों में फायदेमंद होता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित करता है और ह्रदय की बीमारियों से रक्षा करता है।
- त्वचा रोगों में लाभ: इस रुद्राक्ष का नियमित धारण करने से त्वचा संबंधी विकारों का नाश होता है।
- चोटों और घावों का उपचार: यह रुद्राक्ष चोटों, घावों और शरीर की मरम्मत प्रक्रिया को तेज करने में सहायक माना गया है।
- प्रतिरक्षा तंत्र: इसे धारण करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) मजबूत होती है, जिससे व्यक्ति को बीमारियाँ कम होती हैं।
उपयोग:
16 मुखी रुद्राक्ष को मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा-अर्चना के बाद धारण करना उत्तम माना गया है। इसे सफेद या लाल धागे में धारण किया जा सकता है, और रुद्राक्ष को भगवान शिव के मंत्र “ॐ नमः शिवाय” से अभिमंत्रित करके पहनना चाहिए।